What is the course about?
इस कोर्स के बारे में
यह मुफ़्त ऑनलाइन कोर्स दुनियाभर के यूनियनकर्मियों, अध्येताओं और *इस क्षेत्र में लगे हुए लोगों* को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव और मजदूरों के बचाव हेतु श्रम की जवाबी कारवाई के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। यह कोर्स वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर पुनर्विचार के साथ-साथ श्रम के प्रस्तावों तथा उनके नवनिर्माण के लिए आवश्यक नीतिगत कदमों से जुड़े हुए प्रमुख मुद्दों पर विमर्श करता है।
इस कोर्स में शामिल है:
- अकादमिक जगत, कामगार यूनियन और नागरिक समाज (सिविल सोसायटी) के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की वीडियो;
- विशेषज्ञों द्वारा चुनी हुई महत्वपूर्ण अध्ययन सामग्री;
- व्याख्यान द्वारा प्राप्त ज्ञान की प्रतिभागियों के स्थानीय परिप्रेक्ष्य में व्यवहारिकता की समीक्षा के लिए चर्चा और प्रश्नोत्तरी;
- कोर्स के प्रतिभागियों को कोर्स के विशेषज्ञों के साथ प्रत्यक्ष संवाद कराने के लिए हर इकाई के लिए ज़ूम वर्कशॉप।
- इस कोर्स के मुख्य विषयों के ऊपर अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के द्वारा विषयवार वेबीनार।
कोर्स संरचना
अध्याय 1:कोविड-19 संकट और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएँ: परिचय
यह अध्याय वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के भीतर कोविड-19 महामारी द्वारा पैदा किए गए और सामने लाये गये मुख्य चुनौतियों और मजदूरों के ऊपर पड़ने वाले प्रभावों का एक सामान्य परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करता है।
अध्याय 2: ताश के पत्तों का भवन: जीएससी(वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला) मॉडल की संरचनात्मक कमजोरियाँ
यह अध्याय वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की 'गर्त की तरफ जाने की प्रतिस्पर्धा' वाले मॉडल में मौजूद कमजोरियों का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करता है। बहुत ही गंभीर आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय परिणामों वाले इस मॉडल में व्यापार और कर शासन-प्रणालियों, मूल्य और समय को निचोड़ने वाली युक्तियों, पर्यावरणीय सोर्सिंग और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के शेयरधारी मॉडल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के वर्तमान मॉडल का विश्लेषण साम्राज्यवाद की बहसों और आखिरी सदी के निर्भरता सिद्धांत की याद दिलाता है। यह अध्याय मर्दाना दंभ में चूर अधिनायकवादी नेताओं की कोविड-19 संकट से निपटने में विफलता पर चर्चा के साथ समाप्त होता है।
अध्याय 3: कपड़ा आपूर्ति श्रृंखलाओं पर कोविड-19 का प्रभाव: श्रम की जवाबी कारवाई
यह अध्याय फसल से लेकर दुकान तक कपड़ा आपूर्ति श्रृंखलाओं के अलग-अलग भागों के विशिष्ट मुद्दों के विषय में बात करता है। हर इकाई में, कोविड-19 महामारी का मजदूरों पर पड़ने वाले प्रभाव से शुरूआत करके कपास खेती, कपड़ा उत्पादन, नौपरिवहन, वितरण और खुदरा क्षेत्रों में व्याप्त मजदूरों की समस्याओं पर प्रकाश डाला गया है। हर इकाई में ये उदाहरण भी शामिल हैं कि कैसे कपड़ा आपूर्ति श्रृंखला के विभिन्न भागों में मजदूरों को महामारी के प्रभाव से बचाने के लिए श्रम लामबंद हुआ है।
अध्याय 4: अन्य वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर कोविड-19 का प्रभाव: श्रम की जवाबी कारवाई
इसमें पिछले अध्याय के समान विश्लेषण शामिल है। इसमें वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के दूसरे भागों जैसे बूचड़खानों, कृषि आधारित खाद्य उत्पादन, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑनलाइन प्लैटफ़ॉर्मों से संबद्धित मजदूरों का विश्लेषण शामिल है।
अध्याय 5: भविष्य की ओर टिकी निगाहें: प्रमुख माँगों, रणनीतिक जवाबों और नीतिगत प्रस्तावों पर श्रम का नज़रिया
अंतत:, यह अध्याय आगे के रास्ते की बात करता है। यह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को विनियमित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय कामगार यूनियन आंदोलनों और श्रम के हिमायती संगठनों के मुख्य नीतिगत प्रस्तावों और रणनीतिक कारवाईयों के विषय में चर्चा करता है। यह अध्याय इनमें से कुछ नीतिगत प्रस्तावों जैसे, श्रम बाज़ारों, औद्योगिक नीतियों और व्यापार शासन-प्रणालियों के बारे में विस्तृत चर्चा करता है।
मुझे क्या जानने की आवश्यकता है?
इस कोर्स के लिए अंग्रेज़ी के व्यावहारिक ज्ञान की जरूरत है। यह कोर्स परास्नातक पाठ्यक्रम के स्तर के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक विज्ञानों पर आधारित है। लेकिन, सिद्धांतों को सर्वसुलभ तरीके से और उदाहरण सहित व्याख्या देकर समझाया गया है। इसलिए औपचारिक शिक्षा प्रणाली से इतर कौशल और ज्ञान अर्जित करने के बाद भी इस कोर्स में सहभागिता की जा सकती है।
कोर्स का कार्यभार
अगर आप हर इकाई की मुख्य अध्ययन सामग्री को पढ़ते हैं तो एक सप्ताह का कार्यभार अनुमानत: 5-6 घंटे होगा।
प्रमाणपत्र और छात्रवृत्तियाँ
आप इस कोर्स में नामांकन कराकर मुफ़्त में इस कोर्स को पूरा कर सकते हैं।
अगर आप चाहते हैं तो आप सहभागिता का प्रमाणपत्र भी प्राप्त कर सकते हैं। यह प्रमाणपत्र आईवर्सिटी (iversity) द्वारा जारी किया गया आधिकारिक दस्तावेज़ होगा जो कहेगा कि आप इस कोर्स में शामिल रहे हैं। इस दस्तावेज़ में आपका नाम, कोर्स में दाख़िला लेने का समय, कोर्स के विषय में संक्षिप्त जानकारी और आईवर्सिटी का प्रतीक चिन्ह होगा।
सहभागिता का प्रमाणपत्र प्राप्त करने की शर्तें
- सभी वीडियो को देखें।
- प्रश्नोत्तरी के सभी सवालों के जवाब दें।
- वीडियो व्याख्यान के तहत मौजूद कम से कम 2 चर्चा के प्रश्नों में योगदान दें।
- कोर्स सर्वेक्षण को पूरा करें।
छात्रवृत्तियाँ
सहभागिता के प्रमाणपत्र की कीमत €29 है। आप इस प्रमाणपत्र को प्राप्त करने के लिए छात्रवृत्ति के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए आप अपने संगठन और अपने देश का नाम इंगित करते हुए online-hindi@global-labour-
कृपया कोर्स को पूरी तरह (100%) पूरा करने के पश्चात और प्रमाणपत्र की उपरोक्त सभी शर्तों को पूरा करने के पश्चात ही छात्रवृत्ति का अनुरोध करते हुए ईमेल भेजें।
कोर्स की सामग्रियों का उपयोग कैसे करें?
आप कामगार यूनियनों, श्रम शोध संस्थानों और विश्वविद्यालयों के स्थानीय विशेषज्ञों के साथ मिलकर कोर्स की सामग्रियों का उपयोग करके कोर्स के विषयों पर एक स्थानीय कार्यशाला (वर्कशॉप) आयोजित कर सकते हैं।
अगर आप एक विश्वविद्यालय, कामगार यूनियन या अन्य श्रम से जुड़े हुये संस्थानों में काम करते हैं तो आपका अपने शैक्षिक और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में कोर्स की सामग्रियों का एकीकरण करने के लिए स्वागत है। सभी वीडियो व्याख्यानों तथा साक्षात्कारों, अध्ययन सामग्रियों, ऑनलाइन संसाधनों, और कार्यकलापों को अलग से डाउनलोड करके उनका मुफ़्त में उपयोग किया जा सकता है।
कोर्स दल
डॉ. जेरेमी एंडरसन, सामरिक शोध के प्रमुख, अंतरराष्ट्रीय परिवहन मजदूर परिषद (International Transport Workers’ Federation)
प्रो. मार्क एन्नर, श्रम एवं रोज़गार सम्बंधों तथा राजनीतिशास्त्र के प्रोफ़ेसर, पेन्न राजकीय विश्वविद्यालय, संयुक्त राज्य अमेरिका
लियो बॉनक, निदेशक, अंततराष्ट्रीय कामगार यूनियन कंफेडेरशन तथा वैश्विक कामगार कार्यालय
वाल्टर बेलिक, अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर, कैम्पिनास विश्वविद्यालय, ब्राज़ील
किरिल बुकेटोव, कार्यक्रम समन्वयक, अंतरराष्ट्रीय खाद्य मजदूर यूनियन
लिज़ ब्लैकशॉ, वैश्विक अभियानों की निदेशक, अंतरराष्ट्रीय परिवहन मजदूर परिषद
मार्लिस वॉन ब्रॉम्बसेन, विधिक कार्यक्रम की निदेशक, अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में महिलाएँ, वैश्विकीकरण और संगठन
डॉ. लुई कैम्पोस, अर्जेंटीनी मजदूर यूनियन (CTA-A) की सामाजिक अधिकार पर्यवेक्षिकी के समन्वयक
लैला कास्टाल्डो, वरिष्ठ समन्वयक, UNI वैश्विक यूनियन
अलेहांद्रो गोंज़ालेज़, अंतरराष्ट्रीय समन्वयक, गुडइलेक्ट्रॉनिक्स नेटवर्क
क्रिस्टीना हेजागॉस-क्लॉसेन, निदेशक, इंडस्ट्रीऑल(IndustriAll) वैश्विक यूनियन
डॉ. जयति घोष, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की प्रोफ़ेसर, भारत
प्रो. हांसयोर्ग हेर, प्रोफ़ेसर एमेरीटस, बर्लिन अर्थशास्त्र एवं विधि स्कूल, जर्मनी
डॉ. फ़्रैंक हॉफ़र, गैर-कार्यकारी निदेशक, वैश्विक श्रम विश्वविद्यालय(GLU) ऑनलाइन अकादमी
डॉ. क्येल्ड एगार्ड जैकबसेन, वैश्विक श्रम विश्वविद्यालय परास्नातक प्रोग्राम में व्याख्याता, कैम्पिनास विश्वविद्यालय (UniCamp), ब्राज़ील
प्रो. डॉ. प्रवीण झा, अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, भारत
पाओलो मैरिनारो, पोस्टडॉक्टोरल अध्येता, वैश्विक मजदूर अधिकार केंद्र
स्कॉट नोवा, कार्यकारी निदेशक, मजदूर अधिकार संघ
शेथ पेयर, सामरिक शोधकर्ता, अंतरराष्ट्रीय परिवहन मजदूर परिषद
जेम्स रिची, सहायक महासचिव, अंतरराष्ट्रीय खाद्य मजदूर यूनियन(IUF)
निक रूडिकॉफ़, अभियान निदेशक, UNI वैश्विक यूनियन
प्रो. डॉ. क्रिस्टॉफ़ शेरर, वैश्विकरण एवं राजनीति के प्रोफ़ेसर, सामाजिक विज्ञान विभाग, कासल विश्वविद्यालय, जर्मनी
प्रो. डॉ. मेलिसा आर. सेर्रानो, श्रम न्याय केंद्र की निदेशक, श्रम एवं औद्योगिक सम्बंध स्कूल, (SOLAIR), फिलिपींस विश्वविद्यालय
डॉ. एडलिरा हेफ़ा, कार्यकारी निदेशक, वैश्विक श्रम विश्वविद्यालय(GLU) ऑनलाइन अकादमी
इनेके ज़ेल्डेनरस्ट, अंतरराष्ट्रीय समन्वयक, स्वच्छ वस्त्र अभियान
Course instructors
Mark Anner, Penn State University
Mark Anner is a Professor of Labor and Employment Relations, and Political Science, and he is the Director of the Center for Global Workers' Rights at Penn State University. He is also the chair of the MPS Program in Labor and Global Workers' Rights, which is a part of the Global Labour University network. He holds a Ph.D. in Government from Cornell University and a Master's Degree in Latin American Studies from Stanford University. Dr. Anner's research examines freedom of association and corporate social responsibility, labor law reform and enforcement, and workers' rights in apparel global value chains in Central America and Vietnam. His publications include Solidarity Transformed: Labor Responses to Globalization and Crisis in Latin America* (Cornell University Press, 2011). Before beginning his academic career, Mark Anner spent eleven years working with labor unions and labor research centers in Central America and Brazil, and he was a union organizer in Boston.
Christoph Scherrer
Christoph Scherrer is professor for Globalization and Politics and executive director of the International Center for Development and Decent Work at the University of Kassel and a member of Steering Committee of the Global Labour University.
Dr Frank Hoffer
Dr Frank Hoffer is a research fellow of the Global Labour University. He studied in Bremen, London and Moscow. He holds a PhD in Economics. During his professional career, Frank Hoffer was a Labour Attache at the Germany Embassy in Moscow, worked as a senior research officer at the International Labour Organisation and served as the Executive Director of the ACT Foundation. His main areas of interest and research are social policy, wage policies and the application of international labour standards. He is a non-executive director of the GLU Online Academy board
Edlira Xhafa
Edlira Xhafa is the Executive Director of the Online Academy of the Global Labour University. She has a master's degree in Labour Policies and Globalisation from the Global Labour University (Germany) and holds a PhD in Labour Studies from the University of Milan, Italy. Since 2000, she has been engaged with national trade unions in her home country Albania, as well as in the Philippines, Bangladesh, Cambodia and Myanmar. She has also worked for, and collaborated with Education International, Public Services International, Building and Wood Workers' International, International Labour Organisation, Friedrich Ebert Stiftung and others.
Hansjörg Herr
Emeritus professor of the Berlin School of Economics and Law. Expert in Micro & Macroeconomics, International Economics, Economic and Monetary Policies.
Praveen Jha
Praveen Jha completed his Ph.D. from the Centre for Economic Studies and Planning, School of Social Sciences, Jawaharlal Nehru University and is currently a Professor and Chairperson at the same Centre. He was also the founding Chairperson of the Centre for Informal Sector and Labour Studies. He has been a Visiting Professor at several universities and institutions and was also a Visiting Fellow at the International Labour Organisation. His major areas of research and teaching include: Political Economy of Development, with particular reference to Labour, Agriculture, Natural Resources, Public Finance, Education, and History of Economic Thought. He is one of the founding members of the Agrarian South Network and a founding editor of the Journal: Agrarian South: Journal of Political Economy. His latest book is Labour in Contemporary India (Oxford University Press, 2016).
Melisa Serrano
School of Labor and Industrial Relations, University of the Philippines
I teach courses on theories in industiral relations, labour and the economy, industrial relations and national development, and human resource development at the national level. My research involves the following topics: non-standard and precarious employment in ASEAN and East Asia; collective representation and collective action among workers in informal employment; union renewal; the informal economy; industrial relations in micro and small enterprises; trade unions and social movements; comparative industrial relations; wages and productivity in the Philippines; and 'alternatives' to capitalism. I engage with trade unions and other worker organisations in the Philippines and in other countries in terms of collaborative research, training and education, program development and evaluation, and other forms of technical support.
Seth Payer
Seth Payer is a Strategic Researcher at the International Transport Workers’ Federation. He was previously Research Coordinator at the United Food and Commercial Workers International Union.
Nick Rudikoff
Veteran researcher and campaigner.
Walter Belik
Paolo Marinaro
Paolo Marinaro is a researcher for the Center for Global Workers' Rights and UCLA Labor Center. He is also a lecturer in labor and employment relations at the Pennsylvania State University. His research focuses on alternative strategies of labor organizing and the future of workers, with particular attention to Latin America and the U.S.-Mexico border.
Alejandro Gonzalez
Alejandro is the international coordinator of the GoodElectronics Network – a network (hosted by SOMO) of civil society organizations and individuals that are concerned about human rights and sustainability issues in the global electronics supply chain. As a researcher, Alejandro specialises in corporate accountability issues in supply chains of various sectors, particularly labour rights in the electronics and extractives sectors.
Liz Blackshaw
Laila Castaldo
Leo Baunach
Leo Baunach is director of the Washington Office of the International Trade Union Confederation and Global Unions, which leads advocacy on the international financial institutions including the IMF and World Bank. He previously was researcher for the Office, and worked in the International Affairs Department of the United Auto Workers union in the United States. Leo is a graduate of the University of Washington.
Christina Hajagos-Clausen
Marlese von Broembsen
Marlese von Broembsen is the Law Programme Director of Women in the Informal Economy, Globalising and Organising (WIEGO). Marlese has a Masters Degree in Development Studies and law degrees from the Universities of Cape Town and Harvard. She convened a Masters Programme in Social Justice at the Faculty of Law, University of Cape Town from 2009-2014. . She was awarded a Harvard South Africa Fellowship in 2014 and was a Visiting Researcher at the Institute for Global Law and Policy, Harvard Law School from 2015-2017. Marlese has published on labour law and development, global value chains, and informal employment.
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